लोकसभा चुनाव: भाजपा से अपनी परंपरागत सीट छीनने के लिए छटपटा रही कांग्रेस
शहडोल संसदीय सीट की आठ विधानसभाओं में सात आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है...
आदिवासी बहुल संसदीय क्षेत्र में कभी था कांग्रेस का दबदबा, राहुल गांधी की सभा से उम्मीदें
अनूपपुर। शहडोल संसदीय सीट की आठ विधानसभाओं में सात आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। कांग्रेस आदिवासियों को अपना आदिवासी बहुल शहडोल संसदीय सीट पर एक समय कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन 2014 से भाजपा ने इस सीट पर ऐसा कब्जा जमाया है। इसके बाद कांग्रेस अब तक मतदाताओं के बीच पैठ नहीं जमा पाई। कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए छटपटा रही है जबकि भाजपा एक-एक मतदाता को साधने में जुटी है। भाजपा, कांग्रेस को एक भी मौका नहीं देना चाहती। इस चुनाव में सोमवार को कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी शहडोल पहुंचा रहें हैं। वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मुख्यमंत्री सहित कई मंत्री मतदाताओं के बीच पहुंच चुके हैं।
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विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने शहडोल के ब्यौहारी में सभा की थी। शहडोल के लालपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी जनसभा हुई थी। शहडोल सीट दोनों पार्टियों भाजपा कांग्रेस के लिए अहम सीट बन गई है। कांग्रेस आदिवासियों को अपना परंपरागत वोट बैंक मानती है, जबकि भाजपा ने इस वर्ग में अच्छी खासी पकड़ बना ली है। 1999 में अजीत जोगी के हारने के बाद भाजपा यहां काबिज हो गई थी, लेकिन 2009 में राजेश नंदनी ने भाजपा, के नरेंद्र मरावी के हराकर कांग्रेस की वापसी कराया और सांसद बनीं।
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भाजपा ने बदलाव करते हुए युवा नरेंद्र मरावी पर विश्वास जताया तो हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 में भाजपा ने फिर दलपत सिंह को मैदान में उतारा तो जीत मिली और कांग्रेस की राजेश नंदनी हार गईं। कार्यकाल के दौरान सांसद दलपत सिंह का निधन हो गया। 2016 में उप चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस ने हिमांद्री सिंह को प्रत्याशी बनाया और भाजपा ने ज्ञान सिंह पर भरोसा जताया। इस बार भी कांग्रेस को हार मिली और ज्ञान सिंह सांसद बन गए। उप चुनाव में हिमाद्री के चेहरे ने भाजपा नेताओं को प्रभावित किया। हिमांद्री ने 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी की और इसके बाद भाजपा में शामिल हो गईं। 2019 में भाजपा ने हिमाद्री को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया और मोदी, लहर में पहली बार में ही सांसद बन गईं।
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2014 से उप चुनाव सहित हुए तीन चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना बड़ा और जनाधार भी कम हुआ है। अब कांग्रेस वापसी के लिए छटपटा रही है। इस बार भी भाजपा सांसद हिमांद्री को मौका दिया, जबकि कांग्रेस पुष्पराजगढ़ से तीन बार के विधायक फुंदेलाल को प्रत्याशी बनाकर वापसी करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। हिमाद्री सिंह के राजनीतिक करियर की बात करें तो इनका बचपन ही राजनीतिक पृष्ठभूमि के आपपास गुजरा है। उनके माता-पिता लंबे समय सांसद रहे हैं। जबकि फुंदेलाल शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए और लगातार तीन बार के विधायक हैं। कालेज के समय से ही फुंदेलाल छात्र राजनिति में थे। राजनीति में अच्छा खासा अनुभव है। इस बार वे लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी हैं।
हिन्दुस्थान समाचार