ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी का छिड़काव कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं किसान : कृषि वैज्ञानिक

परम्परागत खेती करने से जहां किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो वहीं फसल उत्पादन भी अपेक्षा के..

ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी का छिड़काव कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं किसान : कृषि वैज्ञानिक
ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी का छिड़काव कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं किसान..

कानपुर, 

  • चेन्नई के ड्रोन ने फसलों पर किया कीटनाशी का सफल छिड़काव

परम्परागत खेती करने से जहां किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो वहीं फसल उत्पादन भी अपेक्षा के अनुरुप नहीं हो पाता। ऐसे में आ रही नई तकनीकों का किसान अधिक से अधिक प्रयोग करें। इनमें से एक ड्रोन से फसलों में कीटनाशी का छिड़काव है।

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ड्रोन से छिड़काव पर जहां किसान को लागत कम आएगी तो वहीं बेहतर छिड़काव से फसल उत्पादन बढ़ जाएगा। इसी कड़ी में बुधवार को चेन्नई के ड्रोन ने छोटी से लेकर बड़ी फसलों में कीटनाशी का सफल छिड़काव किया है। यह बातें कृषि विज्ञान केन्द्र अनौगी के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. वीके कनौजिया ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र अनौगी कन्नौज के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ वी.के. कनौजिया के नेतृत्व में ड्रोन के द्वारा 2.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर ग्राम पचपुखरा व कृषि विज्ञान केंद्र के परिसर पर ड्रोन से छिड़काव के तरीके का प्रदर्शन किया गया। ड्रोन का प्रदर्शन गरुणा एयरोस्पेस लिमिटेड चेन्नई के पायलट आर.एम. हरीनिवास व को-पायलट एम. सैयद नियाजुद्दीन ने ड्रोंन के उपयोग व छिड़काव का प्रदर्शन किया।

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डॉ कनौजिया ने बताया कि आने वाले समय में इस प्रकार की तकनीक कृषि के क्षेत्र में नए आयाम रचेगी। यह तकनीक अनेक फसलों तथा विषम परिस्थितियों में अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगी। गन्ना, मक्का, अरहर,सरसों, ज्वार, बाजरा जैसी बड़ी फसलों में जहां छिड़काव कर पाना काफी मुश्किल होता है तो वहीं हवा में ड्रोन के द्वारा छिड़काव किया जाना अत्यंत आसान तथा सस्ता तरीका है।

ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी का छिड़काव कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं किसान..

उन्होंने बताया कई बार मौसम के खराब होने तथा रोग व बीमारियों के बड़े पैमाने पर प्रकोप होने तथा फलदार वृक्षों में पर छिड़काव कर पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ड्रोन के द्वारा छिड़काव सफलतापूर्वक कर फसलों को बचाया जा सकता है। ड्रोन के द्वारा एक बार में एक एकड़ क्षेत्रफल पर मात्र पांच लीटर पानी पर्याप्त होता है। यह कार्य मात्र 15 मिनट में संभव है और इस पर लगभग चार सौ रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है।

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वहीं दूसरी ओर परंपरागत तरीके से छिड़काव करने पर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और एक व्यक्ति को पांच से छह घंटे छिड़काव करना पड़ता है। इसके साथ ही खेत में अधिक नमी से छिड़काव कर पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति में ड्रोन एक अच्छा उपाय है। उन्होंने बताया कि जनपद में मुख्य रूप से आलू की फसल में झुलसा जैसी बीमारियां बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाती हैं। जिनके नियंत्रण में दवाओं के प्रयोग ड्रोन के द्वारा बड़े पैमाने पर कम समय में किया जा सकता है।

ड्रोन से फसलों पर कीटनाशी का छिड़काव कर बेहतर उत्पादन कर सकते हैं किसान..

ड्रोन का उपयोग सहभागिता अथवा किराए के आधार पर किया जाना संभव है। क्योंकि इसकी कीमत काफी अधिक पांच से छह लाख रुपये है। ड्रोन नव युवकों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ पूनम सिंह, डॉ चन्द्र कला यादव, डॉ खलील खान, डॉ बिनोद कुमार, अमरेंद्र यादव, जलालाबाद व तालग्राम के सी.डी.पी.ओ. के अतिरिक्त लगभग 80 कृषक व कृषक महिलाओं ने तकनीकी प्रदर्शन का लाभ उठाया।

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हि.स

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