बाबा महाकाल पूजन के लिए दत्त अखाड़ा की 75 वर्ष से अधिक की परंपरा टूटी
श्रावण-भादौ मास में जब बाबा महाकाल की पालकी रामघाट पर पूजन-अभिषेक के लिए पहुंचती है...
उज्जैन। श्रावण-भादौ मास में जब बाबा महाकाल की पालकी रामघाट पर पूजन-अभिषेक के लिए पहुंचती है, दत्त अखाड़ा से नाव द्वारा पूजन सामग्री भेजी जाती है। यह पूजन सामग्री भी बाबा महाकाल को अर्पित होती है। यह परंपरा स्वाधीनता के बाद से चल रही है। इस वर्ष यह परंपरा प्रथम सोमवार को तो कायम रही लेकिन दूसरे सोमवार को रामघाट से नाव नहीं भेजी जाने के कारण टूट गई। इस पर जूना अखाड़ा के दत्त अखाड़ा गादीपति ने गहरा दु:ख व्यक्त किया है। हालांकि प्रशासन इस चूक को मान चुका है और भविष्य में ध्यान रखा जाएगा, यह आश्वासन दिया गया है।
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दत्त अखाड़ा के अभयपुरीजी महाराज ने इस संबंध में चर्चा करते हुए बताया कि स्वाधीनता के बाद जब अनाज की कमी आई तो तत्कालीन गादीपति संध्यापुरीजी महाराज ने अटूट लंगर चालू किया। उस समय देशी घी खत्म हो गया। संध्यापुरीजी महाराज शिप्रा मैया को बहन मानते थे, ऐसे में वे नदी को पार नहीं करते थे। इधर, सेवक जब महाराज के पास पहुंचे तो संध्यापुरीजी महाराज ने कहा कि शिप्रा मैया से पानी ले आओ और कढ़ाव में डाल दो। सेवकों ने ऐसा ही किया। चमत्कार हुआ और पानी देशी घी बन गया। लंगर अटूट चलता रहा। ज्ञात रहे इस चमत्कार के सैकड़ो प्रत्यक्षदर्शी उज्जैन शहर में रहे हैं। उनकी अगली पीढ़ी ने यह बात अपने परिजनों से सुनी है। अभयपुरीजी महाराज ने बताया कि जब सारी स्थितियां ठीक हो गई तो जितनी बाल्टी पानी पूरी तलने के कढ़ाव में डाला गया था, उतना शुद्ध घी शिप्रा मैया को अर्पित करने के निर्देश गादीपतिजी ने दिए। सेवकों द्वारा ऐसा ही किया गया।
अभयपुरीजी ने बताया कि चूंकि संध्यापुरीजी महाराज शिप्रा मैया को उलांघते नहीं थे, इसलिए बाबा महाकाल की पालकी श्रावण-भादौ मास में जब रामघाट आती थी तो नाव द्वारा दत्त अखाड़ा की ओर से बाबा महाकाल को अर्पित करने के लिए पूजा सामग्री भेजी जाती थी। इस परंपरा को आगे के सभी गादीपतियों ने कायम रखा और वर्तमान में भी यह परंपरा कायम है। बस इस सोमवार को प्रशासन द्वारा चूक हो गई।
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क्या हुआ सोमवार को......
अभयपुरीजी महाराज ने बताया कि सोमवार को जिस नाव को पूजा सामग्री लेने आना था, उस नाव में एसपी और विधायक सहित अन्यजन नदी में भ्रमण कर रहे थे। हम लोग पूरे समय दत्त अखाड़ा पर इंतजार करते रहे और नाव पूजा सामग्री लेने नहीं आई। इसीलिए आपको गादीपतिजी की ओर से यह पीड़ा बताई, ताकि प्रशासन तक बात पहुंचे और भविष्य में इस बात पर समन्वय बनाकर रखा जाए। उन्होंने बताया कि यह कहना गलत होगा कि नदी में बाढ़ आई थी, इसलिए नाव नहीं भेजी गई। पूर्व में बड़ा पुल डूबने पर प्रशासन द्वारा नाव भेजकर एक बार रामानुज कोट पर और एक बार दानी गेट पर पूजन हेतु सामग्री मंगवाई गई थी। पूर्व के अधिकारियों से पुष्टी की जा सकती है।
दत्त अखाड़ा की परंपरा टूटी,हमारी नहीं
महाकाल मंदिर के पुजारी पं.आशीष शर्मा ने चर्चा करने पर कहा कि उनकी जानकारी में यह विषय नहीं आया है। उन्होंने कहा कि वैसे भी बाबा महाकाल का पूजन रामघाट पर जब होता है तो पूजन-अभिषेक सामग्री महाकाल मंदिर से ही आती है। दत्त अखाड़ा से जो पूजन सामग्री आती है, वह बाबा को अर्पित हो जाती है। ऐसे में रामघाट पर पूजन परंपरा नहीं टूटी है, दत्त अखाड़ा से आनेवाली पूजन सामग्री अर्पित नहीं हो सकी है। इसका ध्यान प्रशासन को रखना चाहिए।
इनका कहना है
इस संबंध में चर्चा करने पर महाकाल मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा ने कहा कि चूक होने के चलते हम गादीपतिजी से खेद व्यक्त करते हैं। भविष्य में समन्वय बनाया जाएगा ओर ध्यान रखा जाएगा। वहीं, एसपी प्रदीप शर्मा से चर्चा नहीं हो सकी। इसीप्रकार विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा का मोबाइल स्वीच ऑफ आ रहा था। इधर दत्त अखाड़ा के सूत्रों का कहना है कि एसपी प्रदीप शर्मा और विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा मंगलवार को गादीपतिजी से व्यक्तिगत रूप से मिलने जाएंगे।
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यह कहना है श्रद्धालुओं का
इस संबंध में रामघाट के पण्डा पं.गिरिश शास्त्री ने कहाकि वर्षों पुरानी परंपरा को कायम रखना प्रशासन की जिम्मेदारी है। यदि अधिकारी नदी में बतौर सुरक्षा के लिए भ्रमण कर रहे थे तो दूसरी नाव का इंतजाम करके रखना था। चूक निचले स्तर पर हुई है।
हिन्दुस्थान समाचार