आतिशबाजी के चलते बुन्देलखण्ड की भी हुई जहरीली हवा
दिवाली के बाद भी झांसी में प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को झांसी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 250 रहा..
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दिवाली के बाद भी झांसी में प्रदूषण थमने का नाम नहीं ले रहा है। सोमवार को झांसी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 250 रहा। दोपहर तक धुंध छाई रही। प्रदूषण के चलते सांस रोगियों का दम घुट रहा है। जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 25 फीसदी सांस रोगियों की संख्या बढ़ी है। जबकि, दम घुटने की शिकायत लेकर भर्ती होने वाले मरीज भी 20 प्रतिशत बढ़ गए हैं।
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झांसी में प्रदूषण का स्तर सामान्य रहता है। एक्यूआई 125 से 150 के बीच बना रहता है। मगर पिछले पांच दिनों से इसके स्तर में बढ़ोतरी हुई है। दिवाली पर तो एक्यूआई 400 के करीब पहुंच गया था।
अब इसमें मामूली गिरावट तो हुई है, मगर वायु गुणवत्ता सूचकांक अभी भी 250 के पास बना हुआ है। सोमवार को सुबह से दोपहर 12 बजे तक प्रदूषण के चलते वातावरण में धुंध छाई रही। सांस के कई मरीजों को सांस तक फूल गई। कइयों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।
पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि दिवाली के दौरान हुई आतिशबाजी के चलते चारों ओर धुआं हो गया। क्रशर के दौरान उड़ने वाले डस्ट इससे मिल गई है। इस कारण वातावरण में फैले कण धुंध को बढ़ा रहे हैं।
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पराली जलाना भी इसके पीछे की एक वजह है। दूसरी तरफ, हवाओं की रफ्तार भी बिल्कुल थमी हुई है। इस वजह से प्रदूषण छंट नहीं पा रहा है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल की ओपीडी में आने वाले सांस रोगियों की संख्या में 25 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। सांस फूलने की समस्या पर भर्ती होने वाले 20 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क का इस्तेमाल बहुत जरूरी है। अस्थमा और अन्य सांस की बीमारियों के मरीजों को ठंडा पानी और साफ्ट ड्रिंक का इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए।पर्यावरणविद, बीय डॉ. विनीत कुमार,का कहना है कि।
आतिशबाजी के धुएं के साथ क्रशर से निकलने वाली डस्ट मिल गई है। इसके अलावा पराली जलाना की वजह से भी प्रदूषण बढ़ा है। सोमवार को प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 250 रहा। आगे कम होने की उम्मीद है।
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