बुंदेली लोकगीतों के जरिए कोविड टीकाकरण के प्रति किया जा रहा जागरूक

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से बुंदेलखण्डी लोक..

बुंदेली लोकगीतों के जरिए कोविड टीकाकरण के प्रति किया जा रहा जागरूक
फाइल फोटो

बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच ग्रामीण इलाकों में टीकाकरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से बुंदेलखण्डी लोक विधाओं का सहारा लिया जा रहा है। सुप्रसिद्ध लोककलाविद डॉ.रामभजन सिंह (बिवांर) के लिखित लोकगीतों के माध्यम से बांदा जनपद में इसकी शुरुआत हुई है। चित्रकूट के समाजसेवी भी इन्हीं गीतों के जरिए अपने बीहड़ के इलाकों में लोगों को टीकाकरण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। 

बांदा जनपद के मटौंध पीएचसी के अंतर्गत आने वाले गांवों में इस वक्त आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की टोली घर-घर बुलावे आंगनबाड़ी चला भैया कोरोना का टीका लगवावा, जैसे गीतों को गाते हुए घूम रही हैं। इस गीत को बिवांर निवासी सुप्रसिद्ध बुंदेलखण्ड लोककलाविद डॉ.रामभजन सिंह ने लिखा है। 

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डॉ.सिंह ने बताया कि मटौंध पीएचसी के डॉ.देव सिंह के निवेदन पर उन्होंने इस गीत को लिखा। इस विधा के गीत बुंदेलखण्ड के ग्रामीण अंचलों में शादी-ब्याह के मौके पर गाए जाते हैं, जिन्हें लोककला की भाषा में गारी बोला जाता है। शुभ मौकों पर गाए जाने वाले इन्हीं गारी को उन्होंने आज मानवता को बचाने के लिए जारी मुहिम से जोड़ दिया है ताकि लोग कोरोना टीकाकरण के प्रति जागरूक हों। 

डॉ.सिंह लंबे अरसे से बुंदेलखण्ड लोककला विधाओं के संरक्षण में लगे हैं। उन्होंने इन विधाओं पर शोध भी किया हुआ है। बिवांर में उन्होंने एक एकेडमी भी खोल रखी है, जहां बुंदेली लोककलाओं को संवारा और निखारा जाता है। उनके साथ कलाकारों की बाकायदा टीम है जो बुंदेलखण्ड की लोक कलाओं के संरक्षण के साथ-साथ जन समस्याओं से जुडे़ सरोकारों पर कार्य करती हैं। 

डॉ.सिंह का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से स्थितियां बदल गई हैं। लोगों को बगैर भीड़ लगाए इस महामारी से बचाव के प्रति जागरूक करना है। इसीलिए उन्होंने गीत लिखने शुरू किए हैं। अभी उन्हें बांदा जनपद के मटौंध पीएचसी के डॉ.देव सिंह और चित्रकूट के समाजसेवी अभिमन्यु के लिए ही कुछ गीत लिखे हैं। आगे भी वह कोशिश करेंगे कि अपने गीतों के माध्यम से लोगों को महामारी से बचाव के प्रति जागरूक करते रहें।

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हि.स

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