अस्थाई भवन तैयार, फिर भी अधर में लटका केंद्रीय विद्यालय
केंद्रीय विद्यालय की स्थापना में प्रशासन द्वारा की जा रही हीला हवाली के बाद अस्थाई भवन को शासन द्वारा मंजूरी मिल गई है, लेकिन केंद्रीय विद्यालय द्वारा हरी झंडी न मिलने से जनपद में बरसों से केंद्रीय विद्यालय की सौगात अधूरी पड़ी है।
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए विशेष सुविधाओं वाले केंद्रीय विद्यालय की चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय बांदा में स्थापना के लिए कई वर्षों से कवायदें चल रही हैं। शासन से इसे मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन शर्तों में उलझी फाइल को निस्तारित कर विद्यालय को धरातल पर लाने की कोशिशें यहां के जनप्रतिनिधि भी करते नहीं नजर आ रहे हैं।
क्या कहते हैं डीआईओएस
जिला विधालय निरीक्षक विनोद सिंह ने बताया है कि बांदा में वर्ष 2019-20 में केंद्रीय विद्यालय की स्वीकृति मिली थी। भवन न तैयार होने तक पचनेही गांव के पंडित दीनदयाल राजकीय मॉडल इंटर कालेज में अस्थायी रूप से केंद्रीय विद्यालय संचालित किए जाने की अनुमति शासन से मांगी गई थी।इस अस्थाई भवन पर विद्यालय चलाने की शासन द्वारा मंजूरी मिल गई है लेकिन इस संबंध में केंद्रीय विद्यालय ने शर्तों के साथ जमीन मांगी थी। इसके तहत व विद्यालय की दूरी शहर से ज्यादा दूर न हो और एक ही स्थान पर 8 -10 एकड़ जमीन होनी चाहिए। पचनेहीं के आसपास एक साथ आठ 10 एकड़ जमीन नहीं मिली। इस बात की जानकारी भी केंद्रीय विद्यालय को भेज दी गई। साथ ही मॉडल स्कूल में अस्थाई रूप से विद्यालय चलाने की अनुमति केंद्रीय विद्यालय से मांगी गई है ।अभी तक स्वीकृति न मिलने से मामला लंबित है। डीआईओएस ने कहा है कि शासन से अस्थायी संचालन की अनुमति मिलने और विद्यालय अस्थायी रूप से संचालन होने के बाद ही विद्यालय के लिए आरक्षित भूमि पर भवन निर्माण शुरू किया जाता है। डीआईओएस ने कहा है कि वर्ष 2020-21 में केंद्रीय विद्यालय के संचालन के लिए अस्थायी अनुमति हासिल करने के लिए शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
सदर विधायक से मांग
शहर के नागरिकों ने गत दिवस सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी को एक ज्ञापन देकर केंद्रीय विद्यालय शुरू कराने में अपनी ओर से पहल करने की मांग की है। शहर के प्रदीप कुमार गुप्ता, रामानुज चतुर्वेदी,राजेंद्र अग्रवाल, सौरभ सिंह,नागेंद्र सिंह, सुंदरम सेंगर आदि ने दिए गए ज्ञापन में कहा है कि केंद्रीय विद्यालय स्थापित कराने के लिए वर्षों से प्रयास किए जा रहे हैं किंतु अभी तक केंद्रीय विद्यालय स्थापित नहीं हो सका। कृषि शिक्षा और अनुसंधान के प्रधान सचिव ने कृषि विद्यालय में भूमि आवंटित करने से मना कर दिया है। वह भूमि कुलपति कृषि विद्यालय द्वारा पहले ही चिन्हित की जा चुकी है।उन्होंने कहा कि चित्रकूट मंडल के महोबा , हमीरपुर और चित्रकूट में केंद्रीय विद्यालय खुल चुका है। मात्र बांदा केंद्रीय विद्यालय से वंचित है इसके लिए कृषि शिक्षा और अनुसंधान के प्रधान सचिव से अनुमति दिलाई जाए, ताकि केंद्रीय विद्यालय का संचालन शुरू हो सके।
गोयरा गांव की भूमि निरस्त
इसके पहले भी प्रशासन द्वारा केंद्रीय विद्यालय के लिए सदर तहसील के ग्राम गोयरा मुगली गांव में लगभग 3 एकड भूमि चिन्हित करके प्रस्ताव केंद्रीय विद्यालय को भेजा गया था। जिसे केंद्रीय विद्यालय ने निरस्त कर दिया दिया था। इसके बाद कृषि विश्वविद्यालय ने भी अस्थाई भवन पर केंद्रीय विद्यालय खोलने की कवायद शुरू की गई । इस पर भी केंद्रीय विद्यालय की मंजूरी नहीं मिली। जिससे अभी तक केंद्रीय विद्यालय का मामला लटका हुआ जिससे बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।
केंद्रीय कर्मियों के बच्चों के लिए है केंद्रीय विद्यालय
केंद्रीय विद्यालय प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा का प्रबंध है। यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बच्चों के लिए बनाया गया है। इसकी शुरुआत 1963 में हुई थी। देशभर में एक हजार से ज्यादा केंद्रीय विद्यालय हैं। यह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अनुबंधित हैं। तीन केंद्रीय विद्यालय विदेशों में भी हैं। जहां भारतीय दूतावासों के कर्मचारी और अन्य प्रवासी भारतीय बच्चे पढ़ते हैं। केंद्रीय विद्यालयों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद का कोर्स पढ़ाया जाता है। इनका संचालन केंद्रीय विद्यालय संगठन नाम की संस्था करती है।