झांसी के इतिहास को महज 20 वर्ष पुराना बताने पर झांसीवासियों में भड़का आक्रोश

झांसी का इतिहास छह सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। 2008 में रानी लक्ष्मीबाई के किले में खुदाई के दौरान मिले पत्थर में झांसी...

Oct 31, 2022 - 04:22
Nov 14, 2022 - 01:07
 0  7
झांसी के इतिहास को महज 20 वर्ष पुराना बताने पर झांसीवासियों में भड़का आक्रोश

झांसी का इतिहास छह सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। 2008 में रानी लक्ष्मीबाई के किले में खुदाई के दौरान मिले पत्थर में झांसी के नाम का सबूत है। इस समय ये पत्थर लखनऊ के संग्रहालय में रखा हुआ है। रविवार को पत्रकार वार्ता में ये बात इतिहासकार ओमशंकर असर ने कही।

  • इतिहास छह सौ साल से ज्यादा पुराना है, 20 साल बताना भद्दा मजाक 

यह भी पढ़ें - लौहपुरुष सरकार पटेल जयंती की पूर्व संध्या पर चित्रकूट में निकाली गई भव्य शोभा यात्रा

95 वर्षीय इतिहासकार ने बताया कि ‘झांसी क्रांति की काशी’ किताब में भी इस बात का जिक्र किया है कि झांसी का नाम 1613 में पड़ा। नगर निगम द्वारा शासन को भेजी गई रिपोर्ट में झांसी शहर की जन्मतिथि 7 फरवरी 2002 बताकर भद्दा मजाक किया गया है। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने कहा कि झांसी के साथ लगातार षडयंत्र हो रहा है। उन्होंने कहा कि नगर निगम के अफसर अपनी गलती मानें वरना मानहानि का मुकदमा किया जाएगा। नगर निगम की इस लापरवाही को लेकर मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखेंगे। वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली ने भी विचार रखे। इस दौरान कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, अनिल रिछारिया, मजहर अली, विनय उपाध्याय, अमीर चंद, बशीर अहमद मौजूद रहे। 

यह भी पढ़ें - भोजपुरी फिल्म चारू की शूटिंग देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी

झांसी नगर का इतिहास बीस वर्ष का बताने को लेकर आम जनमानस व राजनैतिक दलों समेत चहुंओर विरोध का स्वर मुखर हो उठा है। कोई इसे वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई समेत बुन्देलखण्ड का अपमान बता रहा है तो कोई इस रिपोर्ट को तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष अपर नगर आयुक्त को दोषी मानते हुए कार्रवाई की मांग कर रहा है। वहीं महापौर ने इस मामले में बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं दी गई। उन्होंने भी आमजन की भावनाओं को प्राथमिकता पर बताते हुए पूरे मामले की जानकारी कर उसमें सुधार कराने की बात कही।झांसी के इतिहास को महज 20 वर्ष पुराना बताने पर झांसीवासियों में आक्रोश भड़क उठा। समस्त राजनैतिक दलों समेत आमजन भी अपर नगर आयुक्त के इस कार्य को निंदनीय व कार्रवाई योग्य बताते नजर आ रहे हैं।

यह भी पढ़ें - डिफेंस कॉरिडोर के रक्षा उत्पाद इकाइयों में काम करने से युवाओं को पहले ट्रेनिंग दी जायेंगी, यहां बनेगा ट्रेनिंग सेंटर

  •  झांसी का अपमान,अपर नगर आयुक्त पर हो कार्रवाई

इस मामले में अखिल भारतीय बौद्ध शोध संस्थान के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री स्वंतत्र प्रभार इतिहासविद हरगोविन्द कुशवाहा ने इसकी जमकर भर्त्सना की। उन्होंने बताया कि जो बुन्देलखण्ड का वासी ही नहीं है उसे वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई व बुन्देलखण्ड के इतिहास से क्या लेना देना। उन्होंने बताया कि इतिहास में झांसी का नाम विश्वविख्यात है। 400 वर्षों से अडिग खड़ा महारानी लक्ष्मीबाई का ऐतिहासिक दुर्ग उसका साक्षी है। महारानी लक्ष्मीबाई ने 1857 में स्वतंत्रता की क्रांति को जन्म दिया। उससे 100 वर्ष पूर्व नारोशंकर ने यहां दुर्ग में शंकर जी के मंदिर की स्थापना कराई। ऐसे अधिकारियों को ऐसे जिम्मेदारी वाले कार्य कदापि नहीं दिए जाने चाहिए। उनको सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई भी अमल में लाई जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें - बोलेरो की टक्कर से गर्भवती महिला और उसके छह वर्षीय बेटे की दर्दनाक मौत

  • ज्ञापन देकर जताएंगे विरोध

कांग्रेस पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य ने पत्रकार वार्ता आयोजित कर बताया के झांसी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ करते हुए आमजन की भावनाओं के साथ कुठाराघात किया गया। जिस अधिकारियों द्वारा झांसी का छद्म इतिहास बताया गया वह न तो झांसी के है और न उन्हे बुंदेलखंड से कोई लगाव है। उन्होंने कहा कि इस सरकार में इतना बड़ा इतिहास बदलने के लिए न तो यहां के किसी जन प्रतिनिधि से वार्ता की ओर न ही किसी इतिहासकार से वार्ता या सलाह ली गई। अधिकारियों ने अपनी मर्जी से झांसी के इतिहास को बीस वर्ष का इतिहास बताकर वीरांगना लक्ष्मी बाई सहित बुंदेलखंड के इतिहास अपमान किया है। इसके लिए उन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। झांसी की जनता उन्हे कभी माफ नहीं करेगी। 

उन्होंने कहा जिलाधिकारी की बनाई गई वेब साइट पर भी किले की तिथि अंकित है फिर भला झांसी के इतिहास को बीस साल क्यों बताया जा रह है। उन्होंने झांसी की जनता और समजसेवियों तथा राजनेताओं से अपील की है कि इसका खुल कर विरोध करते हुए झांसी के इतिहास से खिलवाड़ न होने दे। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस महानगर अध्यक्ष मनोज गुप्ता,इतिहासकार ओम प्रकाश असर, वरिष्ठ पत्रकार मोहन नेपाली आदि उपस्थित रहे।

  • आमजन की भावनाएं सर्वाेपरि

इस सम्बंध में महापौर रामतीर्थ सिंघल ने बताया कि उन्हें इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। सोमवार को वह इस पर पूरी जानकारी लेते हुए गलत तथ्यों को सुधरवाने का कार्य करेंगे। साथ ही नगर के सृजन की तिथि के लिए इतिहासविदों से मंथन के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। आमजनमानस की भावनाओं से खिलवाड़ कदापि नहीं होने दिया जाएगा।

गौरतलब है कि उप्र दिवस मनाने की शुरुआत करने वाली योगी सरकार ने अब ऐतिहासिक नगरों का जन्मदिन मनाने की पहल शुरू की है। इसके चलते विशेष सचिव डॉ राजेन्द्र पैसिया ने निदेशक नगर निकाय के माध्यम से प्रदेश भर में पत्र जारी किए। इसके माध्यम से नगरों की विशेषता को देश में परिचित कराने व नगर के सृजन दिवस को जन्मदिन के रूप में मनाने की बात कही है। इस पर कार्य करते हुए नगर आयुक्त पुलकित गर्ग ने अपर नगर आयुक्त मोहम्मद कमर की अध्यक्षता में एक टीम गठित करने व नगर के सृजन की तारीख तय करने के निर्देश दिए थे।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
admin As a passionate news reporter, I am fueled by an insatiable curiosity and an unwavering commitment to truth. With a keen eye for detail and a relentless pursuit of stories, I strive to deliver timely and accurate information that empowers and engages readers.