झांसी: मनरेगा के कार्य में व्यापक भ्रष्टाचार, ग्राम प्रधान एवं रोजगार सेवक पर लगे गंभीर आरोप, मुख्य विकास अधिकारी करेंगे जांच।

मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारतीय संसद ने...

झांसी: मनरेगा के कार्य में व्यापक भ्रष्टाचार, ग्राम प्रधान एवं रोजगार सेवक पर लगे गंभीर आरोप, मुख्य विकास अधिकारी करेंगे जांच।

मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम भारतीय संसद ने अगस्त 2005 में नरेगा को पारित किया था, जो 2 फरवरी 2006 को लागू हुआ था।   इसका मुख्य उद्देश्य गांव में रहने वाले लोगों को गांव में ही रोजगार प्रदान करना और उनकी कार्य शक्ति को बढ़ाना है जिससे कि गांव में रहने वाले लोग शहर में न जाकर गांव में ही रोजगार प्राप्त कर सके।

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  लेकिन जिला झांसी रक्सा बबीना विधानसभा के ग्राम पाली में इन दिनों मनरेगा के कार्यों में व्यापक भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है,  देखा जाए तो मजदूरों द्वारा किए जाने वाले कार्य को मशीनों द्वारा कराया जा रहा है, जेसीबी मशीन से खुदाई करा कर चकरोड का निर्माण किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पिछले लगभग 2 वर्षों से मनरेगा मजदूरों को काम नहीं मिला जो अब भूखे मरने  की कगार पर हैं। क्षेत्र के रोजगार सेवक प्रवेश सिंह एवं ग्राम प्रधान दशरथ पर मजदूरों द्वारा पिछले 2 वर्षों से कार्य न देने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
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जब हमने मजदूरों से बात की तो उन्होंने बताया ........... कि पिछले ग्राम प्रधान ने हमे रोजाना मजदूरी का काम दिया लेकिन प्रधान के चुनाव के बाद से हमे नए प्रधान ने काम नहीं दिया। अब कभी  कहीं मजदूरी मिलने से पेट भरने का इंतजाम होता है । मज़दूर महिलाओं ने बताया कि रोजगार सेवक प्रवेश सिंह कुछ मजदूरों के खाते में 8 - 10 हजार रुपया डलवा देता है और पूरा रुपया वापस लेकर उसके एवज में 100  - 200 रुपया मजदूर को दे देता है और जे.सी.बी. मशीन से मिटटी, पहाड़ खुदवाकर चक रोड का निर्माण करवा देता है ।  

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वही रोजगार सेवक प्रवेश सिंह से जब हमने बात की तो उन्होंने साढ़े तीन  लाख के प्रोजेक्ट को ढाई लाख का बताया एवं कोई सही उत्तर नहीं दे सके, इससे तो ऐसा ही प्रतीत होता है कि मनरेगा सिर्फ कागजों में ही चल रहा है जबकि गरीब मजदूरों को कोई काम नहीं मिल रहा उनके चहेते मजदूरों को ही काम मिलता है बाकी सब बड़ी मशीनों से कार्य कराया जाता है। जिसके निशान आप वीडियो में भी देख सकते हैं ।  

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इसकी शिकायत जब जिला कार्यक्रम अधिकारी नरेंद्र सिंह के पास पहुंची तो उन्होंने भी जवाब देने से इनकार कर दिया और कैमरे के सामने आने से कतराते रहे किंतु जब इसकी शिकायत मुख्य विकास अधिकारी जुनेद अहमद के पास पहुंची तो उन्होंने शिकायत को संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच कराने का आश्वासन दिया। यदि इन मजदूरों को कार्य नहीं मिला तो वह भूखे तो मरेंगे ही साथ ही सरकारी योजनाएं धरातल पर नहीं आ पाएंगी।

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