कोरोना काल में जानलेवा हो सकता है वायु प्रदूषण
वैश्विक महामारी से बचने के लिए जहां एहतियात बरते की सलाह दी जा रही है वहीं वायु प्रदूषण संक्रमण के खतरे को और बढ़ा रहा है...
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- सोमवार को पहली बार मनेगा अंतर्राष्ट्रीय शुद्ध वायु दिवस
ऐसे में पर्यावरण को साफ रखने और इसमें हिस्सेदारी निभाने के लिए पहली बार 7 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय शुद्ध वायु दिवस का मनाया जाएगा। इसमें स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों व तीमारदारों को वायु प्रदूषण से होने वाली नुकसान और उससे बचने के उपाए बताए जाएंगे।
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सिफ्सा/एनएचएम के मंडलीय परियोजना प्रबंधक आलोक कुमार ने बताया कि अपर स्वास्थ्य निदेशक (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डा.आरबी गौतम के निर्देशन पर मंडल के सभी जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अर्बन पीएचसी, हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों में यह आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान 12 सितंबर तक चलेगा। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले लोगोें (खास तौर पर बच्चों व महिलाओं) को वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के बारे में बताया जाएगा। साथ ही इसे बचाने के टिप्स भी दिए जाएंगे।
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श्री आलोक ने बताया कि चारों जिलों के सभी डीपीएम, आरबीएसके डीआईईसी मैनेजर, आईसीडीएस, डीसीपीएम, चिकित्साधीक्षक, बीपीएम, बीसीपीएम इत्यादि को वेबिनार के जरिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ब्लाक स्तर पर भी एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है। यह घर-घर जाकर बच्चों व महिलाओं को वायु प्रदूषण से बचने के प्रति जागरूक करेंगी।
ऐसे रोक सकते हैं वायु प्रदूषण
मंडलीय परियोजना प्रबंधक का कहना है कि निजी वाहनों की जगह सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें। क्योंकि सड़क पर जितनी कम गाड़ियां रहेंगी उतना कम प्रदूषण भी होगा। अपने बच्चों को निजी वाहन से स्कूल छोड़ने की जगह स्कूल बस में जाने के लिए प्रोत्साहित करें। साइकिल का इस्तेमाल करें इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होता और स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करें। घरों के आसपास या खेतों व बगीचों में सूखी पत्तियों को जलाने की जगह उनका खाद बनाकर इस्तेमाल करें। इससे आपके पेड़, पौधों को फायदा होगा और पत्तियां जलाने से धुआं भी नहीं होगा।
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वायु प्रदूषण से बच्चे हो सकते हैं कुपोषति
वायु में फैले संक्रमण का असर बच्चों पर घातक हो सकता है। इससे बच्चे कमजोर व कुपोषित हो सकते हैं। लिहाजा लो-बर्थ वेट (जन्म के समय सामान्य से कम वजन) के मामले बढ़ सकते हैं। आरबीएसके डीईआईसी मैनेजर डा. अंबुज गुप्ता (महोबा) ने बताया कि वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं व गर्भस्थ शिशु के लिए भी बहुत खतरनाक है। क्योंकि गर्भावस्था के दौरान बच्चे मां से आक्सीजन ग्रहण करते हैं। गर्भवती महिलाओं को सांस लेने में परेशानी होने पर उसका सीधा असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को मौजूदा समय में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। खासतौर पर पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। प्रदूषण के कारण इंट्रायूटरिन इंफ्लामेशन की समस्या होती है। इस कारण बच्चों में दिव्यांगता हो सकती है।
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