आचार्य रामचंद्र दास ने किया जल कोष यात्रा का समापन

सदर ब्लाक के रसिन गांव में 52 दिन की जल कोष यात्रा का समापन पद्म विभूषण जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज के...

आचार्य रामचंद्र दास ने किया जल कोष यात्रा का समापन

कहा कि सबको पानी की एक-एक बूंद बचाना होगा 

चित्रकूट। सदर ब्लाक के रसिन गांव में 52 दिन की जल कोष यात्रा का समापन पद्म विभूषण जगतगुरु रामभद्राचार्य महाराज के उत्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने सोमवार को किया।

उत्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास ने कहा कि इस प्रकृति पर जो कुछ भी दिख रहा है काया, माया, छाया, वह सब बूंदों का कमाल है। आकाश से गिरी पानी की बूंद कहीं नदी बनाती है, कहीं तालाब बनाती है, कहीं बसाती है, तो कहीं उजाडती है। हम सबको पानी के एक-एक बूंद को बचाना होगा। पानी बनाया नहीं केवल बचाया जा सकता है। दुनिया में जल संकट है। संतों, ऋषि मुनियों ने सभी धर्म शास्त्रों की रचना नदी के किनारे वृक्ष के नीचे की है। संतों की भूमिका तथा उपदेश जल संरक्षण के लिए मार्गदर्शक रहे हैं। जल को प्रसाद के रूप में समाज को भेंट किया है। नदियां हमारी माता हैं। जल ही जगदीश है पानी ही परमेश्वर है।

जल कोष यात्रा के संयोजक जल योद्धा पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने कहा कि 10 जिले 26 ब्लॉक 550 गांव तक जल कोष यात्रा का संदेश गया है। आज यह यात्रा चित्रकूट की पवित्र भूमि में कुछ समय के लिए विराम ले रही है। उन्होंने कहा कि जल राष्ट्रीय सम्पदा हैं, प्रकृति ने हमें उपहार में निःशुल्क जल प्रदान किया है। हमने अपने स्वार्थ की वजह से विकय की वस्तु बना दिया। पानी का बाजार खडा कर दिया। पृथ्वी में केवल पीने लायक पानी 2.5 प्रतिशत है। गंगा और यमुना के देश में बोतल बन्द पानी दिन प्रतिदिन अपने पैर पसार रहा है। इसे रोकना होगा। भारत में पानी सभ्यता है, संस्कृति है, पानी आश्रय देता है, पानी तबाही करता है, पानी समाज को जोडता है और तोडता है। भूजल स्तर दिन प्रतिदिन कम हो रहा है। कुओं, तालाबों एवं सामूहिक जलाशयों को नष्ट करते जा रहे हैं। यह सामाजिक सम्पत्ति है। सबको मिलकर इन्हें बचाना होगा। कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार ने परम्परागत और नवीन विधियों के माध्यम से जल रोकने के लिये कई योजनायें चलायी हैं। किसानों से अनुरोध है कि अपने खेतों की मेड बन्दी करें और मेड पर औषधीय पेड लगायें। पानी बचाना समाज की समूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जब बच्चे स्वराज्य के लिये अपने घरों में पानी बचायें। नवीन विधि माइको इरीगेशन के विशेषज्ञ विवेक कुमार सिंह ने कहा कि हम ऐसी फसलें पैदा करें जिसमें पानी कम लगता हो। अटल भूजल योजना के राज्य नोडल अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि ने कहा कि बुन्देलखण्ड में जल चैपाल, जल चर्चा, चल कान्ति जैसे कार्यक्रम ग्रामीण स्तर पर होते रहना चाहिये। बुन्देलखण्ड में पानी रोकने के परम्परागत उपाय के साथ नये उपाय भी किये जाने चाहिये।

मुख्य विकास अधिकारी अमृत पाल कौर ने कहा कि सबको मिलकर राज्य, समाज, सरकार तीनों को मिलकर सामुदायिक प्रयास करने होगें। सरकार की योजनाओं के साथ सामूहिक जिम्मेदारी एक बडा परिणाम लाती है। अभियान संस्था के निदेशक अशोक श्रीवास्तव ने कहा कि जल जंगल जमीन हमारे जीवन से जुडे मूलभूत आवश्यकता है उनके बगैर जीवित नहीं रह सकते। सामाजिक कार्यकर्ता गिरधारी लाल तिवारी ने कहा कि जल ही जीवन है। अटल भूजल योजना के आईईसी एक्सपर्ट साकेत श्रीवास्तव ने कहा कि पंचायतों का पानी नीचे की ओर जा रहा है। पानी की पाठशाला युवा पीढी को जाग्रत करेंगी। इस अवसर पर पद्मश्री, मुख्य विकास अधिकारी ने पानी की पाठशाला तथा पौधरोपण किया।

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