पद्मश्री से सम्मानित होंगे चित्रकूट के 'नेत्र सेवक' डॉ. बी.के. जैन

अपने अद्वितीय प्रयासों से, डॉ. जैन ने लाखों नेत्रहीनों को रोशनी दी है। उनकी कहानी न केवल चित्रकूट के लिए प्रेरणा है, बल्कि उन सभी चिकित्सकों के लिए भी आदर्श है जो समाज की सेवा करना चाहते हैं।

Jan 26, 2025 - 21:09
Jan 26, 2025 - 22:20
 0  9
पद्मश्री से सम्मानित होंगे चित्रकूट के 'नेत्र सेवक' डॉ. बी.के. जैन

चित्रकूट। चित्रकूट स्थित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के निदेशक और ट्रस्टी डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन (डॉ. बी.के. जैन) को उनके असाधारण योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रतिष्ठित पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए चयनित किया गया है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में 2025 के पद्म पुरस्कारों की सूची जारी की, जिसमें डॉ. जैन का नाम शामिल किया गया है। यह सम्मान नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी अनथक सेवा और लाखों लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने के लिए दिया जा रहा है।

असहाय और निर्धनों को विश्वस्तरीय इलाज देता है सदगुरु नेत्र चिकित्सालय

संत के आशीर्वाद से प्रेरित जीवन यात्रा
मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक व्यवसायिक परिवार में जन्मे डॉ. जैन ने साधारण बचपन बिताया। समाज की सेवा का सपना उन्हें उनके गुरु संत श्री रणछोड़दासजी महाराज से प्रेरणा के रूप में मिला। मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने मुंबई से नेत्र चिकित्सा में रेजीडेंसी की और फिर अपने जीवन को चित्रकूट में सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

चित्रकूट, जो 1960 के दशक में घने जंगल और जंगली जानवरों से भरा हुआ था, वहां सुविधाओं का अभाव था। बिजली और पानी जैसी आवश्यक चीजें भी उपलब्ध नहीं थीं। डॉ. जैन ने इन कठिन परिस्थितियों में भी अपने कार्य को जारी रखा। अपने गुरु डॉ. विष्णु जोबनपुत्रा के साथ, वे सुबह 4 बजे से देर रात तक काम करते थे। रोजाना 300-400 नेत्र सर्जरी करना उनके अथक परिश्रम का हिस्सा था।

सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय का निर्माण और विस्तार
संत श्री रणछोड़दासजी महाराज द्वारा 1968 में स्थापित श्री सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट को डॉ. जैन ने अपने अथक प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय स्तर का नेत्र चिकित्सालय बनाया। उन्होंने न केवल चिकित्सा सेवा प्रदान की, बल्कि इस क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के लिए भी कार्य किया।

चित्रकूट जैसे पिछड़े क्षेत्र में एक अत्याधुनिक नेत्र अस्पताल स्थापित करना आसान नहीं था। धन और प्रशिक्षित मानव संसाधनों की कमी के बावजूद, डॉ. जैन ने स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित करने और रोजगार प्रदान करने के लिए कदम उठाए। 1999 में उन्होंने सद्गुरु स्कूल ऑफ नर्सिंग की स्थापना की, जहां बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाता है।

लाखों की जिंदगी में लाई रोशनी
एक विशेष उपलब्धि के रूप में डॉ.जैन को सर्वप्रथम पांच जिलों को मोतियाबिंद मुक्त क्षेत्र बनाने का भी श्रेय जाता है। उनके कुशल निर्देशन एवं मार्गदर्शन में सदगुरु नेत्र चिकित्सालय ने पन्ना, सतना,बांदा,हमीरपुर और फतेहपुर इन पांच जिलों को एक विशेष अभियान चलाकर घर-घर नेत्र परीक्षण करवाया गया एवं मोतियाबिंद के चिन्हित रोगियों को सर्जरी कर नवीन रोशनी प्रदान की गई।अपने अद्वितीय प्रयासों से, डॉ. जैन ने लाखों नेत्रहीनों को रोशनी दी है। उनकी कहानी न केवल चित्रकूट के लिए प्रेरणा है, बल्कि उन सभी चिकित्सकों के लिए भी आदर्श है जो समाज की सेवा करना चाहते हैं।

पद्मश्री सम्मान: एक सच्चे समाजसेवी का गौरव
पद्मश्री पुरस्कार मिलने से चित्रकूट और सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय का नाम और ऊंचा हुआ है। यह सम्मान डॉ. जैन की अद्वितीय सेवा और उनके समर्पण का प्रतीक है। उनका जीवन उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो अपने कार्य और सेवा से समाज को बदलने का सपना देखते हैं।

----

@  श्याम जी निगम , मैनेजिंग डॉयरेक्टर , बुंदेलखंड न्यूज़

What's Your Reaction?

Like Like 1
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0
admin As a passionate news reporter, I am fueled by an insatiable curiosity and an unwavering commitment to truth. With a keen eye for detail and a relentless pursuit of stories, I strive to deliver timely and accurate information that empowers and engages readers.