जैविक तरीके से उगी सब्जियां व फल खायेंगे कुपोषित बच्चे
कुपोषण को खत्म करने के लिए पोषण अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को सेहतमंद और जागरूक बनाने की मंशा से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं।
कुपोषण को खत्म करने के लिए पोषण अभियान चलाया जा रहा है। लोगों को सेहतमंद और जागरूक बनाने की मंशा से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं। कुपोषित बच्चों के घरों में पोषण वाटिका लगाई गई। जिसमें जैविक तरीके से सब्जियां और फल उगेंगे। ग्राम प्रधान व प्राइमरी शिक्षकों का भी सहयोग लिया गया।
बिसंडा ब्लाक के चैसड़ गांव में 64 कुपोषित बच्चों के घरों के आंगन व आसपास खाली पड़ी जमीन पर पोषण वाटिका में सहजन व आंवला के पौधे लगाए गए। इसी तरह फफूंदी और नांदनमऊ गांवों में परिषदीय विद्यालयों में पोषण वाटिका तैयार करने के लिए पौध रोपण किया गया। बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) अंशलता ने बताया कि पोषण वाटिका के लाभ और जरूरत के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है। वाटिका में पालक, मेथी, बथुआ, शलजम, शिमला मिर्च, टमाटर इत्यादि लगाए गए। साथ ही नींबू, आंवला, पपीता, अमरुद, सहजन के पौधे भी रोपे गए। उन्होंने बताया कि पोषण वाटिका का मकसद रसोईघर के पानी व कूड़ा करकट का इस्तेमाल करके घर की फल व साग सब्जियों की दैनिक जरूरतों को पूरा करना है।
जिला कार्यक्रम अधिकारी इशरत जहां ने बताया कि पोषण वाटिका में जैविक खाद का प्रयोग करें तथा जिसके पास जितनी जगह है उस अनुसार फल के वृक्ष अथवा मौसमी सब्जी को लगाने हेतु चयन करें। नियमित रुप से सब्जी व फल भोजन में प्रयोग करने से शरीर स्वस्थ रहता है और बीमारियों से लड़ने की ताकत रहती है। भोजन में पोषक तत्वों की कमी ही मुख्य रुप से कुपोषण का कारण है। कुपोषण से सुपोषण की ओर जाने के लिए पोषण वाटिका का बहुत महत्व है। गांवों में आंगनवाड़ी और सहायिकाओं के द्वारा स्थान चयन कर पोषण वाटिका तैयार करवाई जा रही है।