
सिर्फ अम्बेडकर ने नहीं लिखा था संविधान
भारत का संविधान बनाने के लिए भीमराव रामजी अम्बेडकर को पूरा श्रेय दिया जाता है, जोकि गलत है। आपको जानकर हैरानी होगी कि संविधान बनाने की जिम्मेदारी 389 सदस्यों की थी, जिन्हें संविधान सभा माना गया। अम्बेडकर तो सिर्फ ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे तथा इस प्रकार की 22 समितियां और भी थीं। पर सिर्फ अम्बेडकर को संविधान निर्माता मानना अन्य विद्वानों के साथ नाइंसाफी होगी।
हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसे बना संविधान? और कितनों की मेहनत का नतीजा है ये संविधान?
भारत का संविधान 2 साल 11 माह व 18 दिनों के बाद 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ, जिस पर सभी सदस्यों ने हस्ताक्षर किये। इसी दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। पर इसे लागू किया गया, ठीक 2 माह बाद यानि 26 जनवरी 1950 को। संविधान बनाने की जिम्मेदारी संविधान सभा की थी। इसमें कुल 389 सदस्य थे, जिसमें से 292 सदस्य राज्यों से, 93 देशी रियासतों से व 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि थे। इसमें 33 सदस्य अनुसूचित जाति से तथा 12 सदस्य महिलायें थीं।
चूंकि आजादी के बाद देश की जरूरत रोटी, कपड़ा और मकान की थी, जिसे बुनियादी स्तर पर हर देशवासी के लिए जुटाने का संकल्प इस संविधान सभा ने लिया था। इसीलिए इस दौरान 8 सत्रों में कुल 166 बैठकें हुईं, जिनमें हर मुद्दे पर पक्ष-विपक्ष में तर्कों के साथ तीखी बहस भी होती थी। किसी-किसी मुद्दे पर दो-चार दिन लग जाते थे आम सहमति बनाने में। संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डाॅ. सच्चिदानन्द सिन्हा को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया पर कुछ दिनों में ही डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई अध्यक्ष चुन लिया गया। जबकि कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति हरेन्द्र मुखर्जी को उपाध्यक्ष बनाया गया।
बी.एन.राव ने तैयार किया था संविधान का प्रारम्भिक प्रारूप
संविधान सभा के कानूनी सलाहकार के रूप में बी.एन. राव को नियुक्त किया गया था। इन्हीं बी.एन. राव ने ही संविधान का प्रारम्भिक ड्राफ्ट तैयार किया था। ड्राफ्ट कमेटी विभिन्न मुद्दों पर जो रिपोर्ट प्रस्तुत करती थी, उन रिपोर्ट्स के आधार पर तथा दूसरे देशों के संविधान में शोध करने के बाद राव ही प्रारम्भिक ड्राफ्ट तैयार करते थे। डाॅ. भीमराव रामजी अम्बेडकर की अध्यक्षता में जो ड्राफ्टिंग कमेटी काम कर रही थी, उसका काम था रिपोर्ट्स को बहस के लिए प्रस्तुत करना, ताकि आवश्यतानुसार संशोधनों के पश्चात उन्हें फाइनल किया जा सके। प्रारूप समिति यानि ड्राफ्ट कमेटी के अलावा वार्ता समिति, संघ संविधान समिति, प्रान्तीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति जैसी महत्वपूर्ण समितियां भी बराबर संविधान निर्माण में कार्य कर रही थीं। सभी का अपना-अपना महत्वपूर्ण रोल था, आजाद भारत के नये संविधान का।
संविधान निर्माण हेतु बनाई गयी प्रमुख समितियां
- संघ शक्ति समिति के अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे।
- प्रान्तीय संविधान समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
- संघ संविधान समिति के अध्यक्ष भी पं. जवाहर लाल नेहरू ही थे।
- राज्यों तथा रियासतों से परामर्श समिति के अध्यक्ष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
- मौलिक अधिकार एवं अल्पसंख्यक समिति के अध्यक्ष भी सरदार वल्लभ भाई पटेल थे। इस समिति में कई उप समितियां भी थीं।
- अल्पसंख्यक उपसमिति के अध्यक्ष हरेन्द्र मुखर्जी थे।
- मौलिक अधिकार उपसमिति के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे।
- उत्तर पूर्व सीमान्त उपसमिति के अध्यक्ष गोपीनाथ बार्डोलोई थे।
- असम के अतिरिक्त क्षेत्र की उपसमिति के अध्यक्ष ए.वी. ठक्कर थे।
- झण्डा समिति के अध्यक्ष जे.बी. कृपलानी थे।
- प्रारूप समिति के अध्यक्ष डाॅ. भीमराव रामजी अम्बेडकर थे।
- संविधान समीक्षा समिति के अध्यक्ष एम.एन. वेंकटाचलैया थे।
- सर्वोच्च न्यायालय से सम्बन्धित समिति के अध्यक्ष एस.एच. वर्धाचारियर थे।
- प्रारूप संविधान का परीक्षण समिति के अध्यक्ष अल्लादी कृष्णा स्वामी अययर थे।
- प्रान्तीय समिति के अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे।
- संचालन समिति के अध्यक्ष डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
- प्रक्रिया नियम समिति के अध्यक्ष भी डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद थे।
प्रारूप समिति
बी.एन. राव द्वारा बनाये गये संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के लिए प्रारूप समिति का जब गठन किया गया तब इस समिति में 7 सदस्यों को रखा गया था। इस समिति की अध्यक्षता डाॅ. भीमराव रामजी अम्बेडकर ने की। जबकि संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श के लिए उनके साथ एन. गोपाल स्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णा स्वामी अययर, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्रा, व डी.पी. खेतान भी शामिल थे। बाद में बी.एल. मित्रा के स्थान पर एन. माधव राव को तथा डी.पी. खेतान की मृत्यु के बाद टी.टी. कृष्णमाचारी को सदस्य बनाया गया।