प्राकृतिक जलधारा में चेक डैम बनाने से ग्रामीण आंदोलित

प्राकृतिक जलधारा में चेक डैम बनाने से ग्रामीण आंदोलित

बुन्देलखण्ड में हर साल गर्मियों में पानी का घोर संकट पैदा हो जाता है ऐसी स्थिति में नदी नाले और तालाब सूख जाते हैं, तब जानवरों को पानी मुहैया कराने के लिए नहर चलाकर तालाब भरे जाते हैं। ऐसे इलाके में अगर प्राकृतिक जल स्रोत नष्ट किए जाएं तो यह एक आत्मघाती कदम होगा। ऐसा ही आत्मघाती कदम लघु सिंचाई विभाग द्वारा उठाया जा रहा है जो प्राकृतिक जल स्रोत नष्ट करने के लिए जानबूझकर चेकडैम  बना रहे हैं।जिससे ग्रामीण आंदोलित हो उठे हैं।

यह मामला है तहसील नरैनी क्षेत्र के ग्राम मोतिहारी का है। इस गांव में सैकड़ों साल पुराने  प्राकृतिक जल स्रोत हैं, इससे गांव के लोग पानी पीते हैं, स्नान करते हैं उनके सारे संस्कार भी इसी प्राकृतिक जल स्रोत में होते हैं। पशु-पक्षियों के लिए भी यही झरने सहारा है और इन्हीं जल स्रोतों के माध्यम से सैकड़ों एकड़ जमीन की सिंचाई की जाती है। इसके बाद भी लघु सिंचाई ग्रामीणों की अनदेखी करते हुए प्राकृतिक जल स्रोतों को नष्ट करने में तुला हैं।

इस संबंध में समाजसेवी रामस्वरूप मिश्रा का कहना है कि अगर प्राकृतिक जल स्रोत नष्ट हो गए तो यहां पानी का घोर संकट हो जाएगा । उन्होंने बताया कि इसी झरने के 300 मीटर दूर पहले भी दो चेक डैम बनाए गए थे इन चेकडैमो के बनने से ऊपर के सारे जल स्रोत बंद हो गए और दोनों चेकडैम सूखे पड़े हैं ।अब जो शेष जल स्रोत बचे हैं। उनमें भी अगर 4 मीटर ऊंची दीवार बनाकर जल स्रोत बंद करने की कोशिश की गई तो यहां के किसान तबाह हो जाएंगे,क्योंकि इस क्षेत्र में इस झरने के अलावा सिंचाई का कोई और साधन नहीं है।

कहां है झरना

यह झरना ग्राम पंचायत मोतिहारी में स्थित है,जिसमें कई जगह छोटे बड़े जल स्रोत हैं यही जल स्रोत से जो पानी निकलता है वह नाले के रूप में 3 किलोमीटर दूर तक बहता हुआ बागे नदी में गिरता है। इसी नाले के किनारे-किनारे सैकड़ों किसान सब्जी की खेती करते हैं।इसके अलावा सैकड़ों एकड़ खेतों में अन्य किसान अपनी फसलों की सिंचाई करते हैं यह जल स्रोत कितने पुराने हैं किसी को पता नहीं है लेकिन इनमें पानी के अकूत भंडार हैं।

किसान पंपिंग सेट मशीन लगाकर पानी निकालते हैं  फिर भी पानी कम नहीं होता  यही वजह है कि इस क्षेत्र के किसानों के लिए यह जल स्रोत वरदान बने हुए हैं। परंतु लघु सिंचाई विभाग इन जल स्रोतों को खत्म करना चाहता जिससे ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। आंदोलन की शुरुआत समाजसेवी रामस्वरूप मिश्रा बताते हैं कि हमने का ठेकेदार को बताया था कि यहां चेकडैम बनाना ठीक नहीं इसके बाद भी उसने काम बंद नहीं किया जब गांव के सारे लोग विरोध पर उतर आए तब जाकर उसने काम बंद किए इस बीच मुझे एसडीएम नरैनी बंदिता से चंद्र श्रीवास्तव ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि नेतागिरी बंद करके काम होने दीजिए एसडीएम की मनमानी से आज ही जाकर हमने सोमवार को जिलाधिकारी बांदा को भी इस संबंध में एक ज्ञापन दिया और हमें आशा है कि जिला अधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर ग्रामीणों के हित में निर्णय करेंगे।

लघु सिंचाई विभाग की राय

इस मामले में लघु सिंचाई विभाग की ग्रामीणों के अलग राय है विभाग के अभियंता प्रमोद  कुमार का कहना है कि चेक डैम बनने से जलस्त्रोत बंद नहीं हो सकता क्योंकि विभाग ने सर्वे कराने के बाद ही काम शुरू कराया था।यह अलग बात है की ग्रामीणों की वहां के प्राकृतिक जल स्रोतों में आस्था है, प्राचीन जल स्रोत खत्म होंगे या नहीं यह जानने के लिए जांच भू-जल भूजल विभाग को सौंपी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि यह काम लघु सिंचाई विभाग द्वारा तब कराया जा रहा है।जब ग्राम पंचायत में इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को प्रेषित किया था।

कुल मिलाकर सैकडों वर्ष पुराने जल स्रोतों के संरक्षण के लिए ग्रामीण आंदोलित हो गए हैं अगर ग्रामीणों की आस्था से जुड़े जल स्त्रोतो को खत्म किया गया तो यहां भविष्य में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न हो सकता है।

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