अनचाहे गर्भ से बचने के लिए “बास्केट ऑफ च्वाइस” अपनाएंः हीरालाल

अनचाहे गर्भ से बचने के लिए “बास्केट ऑफ च्वाइस” अपनाएंः हीरालाल

परिवार के साथ ही समाज और देश की खुशहाली के लिए जरूरी हो गया है कि हर कोई छोटे परिवार के बड़े फायदे के बारे में गंभीरता से विचार करे । इसके अलावा बच्चे का जन्म तभी हो जब माता-पिता उसके लिए पूरी तरह तैयार हों। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास “बास्केट ऑफ च्वाइस” मौजूद है, लोग अपनी सुविधा अनुसार उसमें से कोई भी साधन अपना सकते हैं ताकि अनचाहे गर्भ धारण की समस्या से बचने के साथ ही माँ-बच्चे की मुस्कान भी बनी रहे।

यह बातें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के अपर मिशन निदेशक हीरा लाल ने विश्व गर्भ निरोधक दिवस (26 सितम्बर) की तैयारियों और जागरूकता पर चर्चा के लिए सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) और उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन मीडिया कार्यशाला के दौरान कहीं।


उन्होंने कहा कि हमारे संसाधन सीमित हैं, ऐसे में आबादी को भी सीमित रखना बहुत ही जरूरी है। दो बच्चों के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखना चाहिए ताकि महिला का शरीर पूरी तरह से दूसरे गर्भधारण के लिए तैयार हो सके। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को भी सुधार जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने नव दम्पतियों को शादी के दो साल बाद ही बच्चे के बारे में सोचने के प्रति जागरूक करने की बात कही, क्योंकि पहले जरूरी है कि पति-पत्नी एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझें, परिवार को समझें और अपने को आर्थिक रूप से इस काबिल बना लें कि अच्छी तरह से बच्चे का लालन-पालन कर सकें तभी बच्चा पैदा करने की योजना बनाएं।मीडिया कार्यशाला का संचालन कर रहीं सीफॉर की रंजना द्विवेदी ने कहा कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को जनमुद्दा बनाना बहुत जरूरी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश की परिवार नियोजन कार्यक्रम की महाप्रबंधक डॉ. अल्पना शर्मा ने प्रदेश में परिवार नियोजन को लेकर चलाये जा रहे कार्यक्रमों और आगे की योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 की तुलना में वर्ष 2019-20 के परिवार कल्याण कार्यक्रमों के परिणाम बहुत उत्साहजनक थे किन्तु वर्ष 2020-21 सत्र की शुरुआत ही कोविड-19 महामारी से हुई, इस कारण से प्रगति धीमी रही। फिर भी गर्भनिरोधक गोली छाया, प्रसव के तुरंत बाद लगने वाली पीपीआईयूसीडी और कंडोम की डिमांड ज्यादा रही। इसमें फ्रंट लाइन वर्कर (आशा, आंगनबाड़ी, एएनएम) की भूमिका सराहनीय रही।

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