कृषि विधेयकों के मामले में कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर झूठ बोल रही भाजपा : अजय लल्लू

कांग्रेस ने सदन में पारित कृषि सुधार विधेयकों को लेकर एक बार फिर सरकार पर निशाना साधा है...

कृषि विधेयकों के मामले में कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर झूठ बोल रही भाजपा : अजय लल्लू

लखनऊ, (हि.स.)

  • 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक प्रदेशव्यापी आन्दोलन और जनअभियान चलायेगी कांग्रेस

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने गुरुवार को कहा कि केन्द्र और प्रदेश की सरकार तथा भाजपा के नेता यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि इसकी तमाम बातें कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल थीं यह पूरी तरह से मिथ्या, भ्रामक और झूठ है।

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा हड़बड़ी में एक महीना पूर्व रबी फसल की घोषित की गयी नई एमएसपी में इतिहास की सबसे कम बढ़ोत्तरी की गयी है। जो मात्र 2.6 प्रतिशत है जबकि इस दौरान उर्वरक, डीजल और जरूरी चीजों के दाम 60 प्रतिशत से ज्यादा बेतहाशा बढ़े हैं।

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प्रदेश अध्यक्ष ने इसके विरोध में 25 सितम्बर से 31 अक्टूबर तक व्यापक जनान्दोलन चलाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 25 सितम्बर को सोशल मीडिया के माध्यम से खेती-किसानी पर हुए इस हमले के खिलाफ कैम्पेन चलाया जाएगा। 28 सितम्बर को कांग्रेसजन आम जनता व किसानों के साथ प्रदेश की विधानसभा का घेराव करेंगे। 02 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लालबहादुर शास्त्री की जयन्ती पर ब्लॉक मुख्यालयों पर सत्याग्रह करेगी। इसके बाद 31 अक्टूबर तक लगातार आम जनता के बीच जाकर जनजागरण अभियान चलाया जाएगा।

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उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किये जाने से सरकारी अनाज मंडिया सब्जी तथा फल मंडिया समाप्त हो जायेंगी, जिसकी वजह से किसान पूंजीपतियों द्वारा तय किये गये मूल्य पर अपने उत्पादित फसल को बेचने के लिए बाध्य हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की मांग है कि एक देश-एक समर्थन मूल्य के तहत पूरे प्रदेश में सारी फसलों अनाज, फल, सब्जी तीनों चीजों के पूरे देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य तय होना चाहिए तथा नये कानून में एमएसपी का जिक्र किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि नये कानून के तहत किसान के किसी भी उपज की खरीद एमएसपी से नीचे नहीं होनी चाहिए।

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प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कृषि उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने का जिक्र न होना इस बात की तरफ इशारा करता है कि सरकार ने कृषि व्यवस्था को पूरी तरह से कार्पोरेट और पूंजीपतियों के हवाले कर दिया है। इससे देश की कृषि व्यवस्था जिसमें 86.4 प्रतिशत किसान जिसकी जोत 2 एकड़ से कम है वह नई प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्था से बाहर हो जायेगा और  किसान अधिकार विहीन हो जाएगा उसकी हैसियत मात्र एक मजदूर की हो जाएगी।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के इस कदम से जहां एक तरफ हमारे देश और प्रदेश के किसान अधिकारविहीन और बेचारा बनकर रह जायेंगे वहीं एक बहुत बड़ा विभाग मंडी परिषद जिसमें लाखों लोग नौकरी से जुड़े हैं और उनके परिवार का भरण पोषण हो रहा है, मंडी परिषद और विपणन समितियों का समापन हो जाएगा। ऐसे में सेवा दे रहे लाखों लाख कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। मंडी परिषद की आय से ग्राम स्तर तक जो विकास कार्य हो रहे हैं वह बन्द हो जायेंगे।

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